वैवाहिक जीवन सुखमय- शान्तिप्रद बनाने हेतु :
भारतीय ज्योतिष पद्धति के अनुसार वैवाहिक मेलापक केवल परम्परा का निर्वहन नहीं है अपितु भावी दंपत्ति के सहज भाव , गुण- धर्म ,आचार- विचार, मधुर सम्बन्ध पारस्परिक व्यवहार के विषय में स्पष्ट जानकारी प्राप्त करना है|
जब तक समान आचार- विचार ,सम व्यवहार वाले वर एवं कन्या नहीं होगे, तब तक दांपत्य जीवन सुख मय नहीं हो सकता, क्योकि विवाह बाद ही, भावी दंपत्ति एक दुसरे के व्यवहार , रहन- सहन, तौर -तरीके आदि के विषय में जान पाते है| विवाह के पूर्व गहरे मित्र भी कभी कभी एक दुसरे के प्रति जानकारी प्राप्त कर पाने में अक्षम हो जाते है|
अतः इस घोर परिस्थिति में ज्योतिष शास्त्र की यह वैज्ञानिक पद्धति अटूट वरदान सिद्ध होती है|
ज्योतिष वैवाहिक मेलापक सारणी विचार :
वर एवं कन्या के जन्म कुंडली के आधार पर योनिकूट ,राशिकूट ( भृकुट मिलान) का स्कोर अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है| मिलान उत्तम होने पर ही वैवाहिक जीवन सुखमय ,समृद्धि पूर्ण होगा|जन्म कुंडली में मंगल एवं शनि की स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते है, इन दोनों के शुभत्व के प्राप्त होने पर ही दंपत्ति के विचार मिलते है जीवन में मिठास बनी रहती है|
लग्न लग्नेश की स्थिति संतान सुख के कारक बनते देखे जा सकते है, लग्न एवं लग्नेशाधिपति के निर्बल हो जाने की दशा में सन्तान सुख में बाधा एवं अंतर्कलह का कारण उपन्न हो जाता है|
प्रेम विवाह के ७५ % असफलता के कारण कालसर्प दोष ,मांगलिक दोष ,शनि दोष ,निर्बल सूर्य एवं बृहस्पति प्रायः देखे गए है|
विशिष्ट ज्योतिषीय परामर्श के द्वारा उत्तम मुहूर्त, शुभ विशुद्ध लग्न में वैदिक रीति से पाणिग्रहण संस्कार करना वैवाहिक जीवन को सुखद एवं समृद्धि वान बनाता है|
अशान्ति पूर्ण वैवाहिक जीवन को शान्तिप्रद बनाने हेतु ज्योतिष शास्त्र का अद्भुत ज्ञान रखने वाले दैवज्ञ से एक बार परामर्श अवश्य लेना चाहिए|
" असाध्य रोग से उत्पन्न हुए घोर कष्टो से छुटकारा पाने हेतु अनुभवी वैध (डॉक्टर ) के पास जाने पर ही उपचार पाया जाना सम्भव है|"
ठीक उसी प्रकार से बारम्बार दैवीय आपदा ,ग्रह -नक्षत्र के द्वारा उत्पन्न घोर संकट से छुटकारा पाने के लिए समय रहते दैवज्ञ परामर्श अवश्य ले लेना चाहिए|